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India France Marine Rafale Deal | INS Vikrant पर गरजेंगे राफेल-M: भारत की समंदर वाली स्ट्राइक फोर्स तैयार!

भारत-फ्रांस मरीन राफेल डील | India France Marine Rafale Deal

India France Marine Rafale Deal | INS Vikrant पर गरजेंगे राफेल-M: भारत की समंदर वाली स्ट्राइक फोर्स तैयार!

भूमिका

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी रक्षा क्षमताओं को सशक्त करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से एक हालिया और चर्चित सौदा है — भारत और फ्रांस के बीच मरीन राफेल (Rafale-M) फाइटर जेट्स का समझौता। यह सौदा भारतीय नौसेना के लिए किया गया है, जो देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

जहाँ पहले भारत ने राफेल विमान वायुसेना के लिए खरीदे थे, वहीं अब नौसेना के लिए भी इन्हीं अत्याधुनिक जेट्स का चयन किया गया है। यह डील क्यों खास है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? और इससे भारत को क्या लाभ होगा — आइए इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।


क्या है मरीन राफेल?

राफेल-M का पूरा नाम है Rafale Marine। यह फ्रांस की कंपनी Dassault Aviation द्वारा बनाया गया एक Carrier-based multirole fighter aircraft है। मरीन राफेल खासतौर पर नौसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, ताकि यह समुद्र में तैनात एयरक्राफ्ट कैरियर्स (विमानवाहक पोत) से उड़ान भर सके और लड़ाई लड़ सके।

यह विमान सभी प्रकार के आधुनिक हथियारों से लैस होता है, जैसे कि हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाले बम, और अत्याधुनिक रडार सिस्टम। इसकी खास बात यह है कि यह खराब मौसम, रात के अंधेरे और समुद्र के बीच भी सटीक हमला कर सकता है।


ChatGPT-Image-Apr-9-2025-05_08_36-PM-1024x683 India France Marine Rafale Deal | INS Vikrant पर गरजेंगे राफेल-M: भारत की समंदर वाली स्ट्राइक फोर्स तैयार!

डील की मुख्य बातें

  1. कुल विमान: भारत इस डील के तहत फ्रांस से 26 मरीन राफेल फाइटर जेट्स खरीद रहा है।

  2. मूल्य: इस सौदे की कुल अनुमानित लागत लगभग  लगभग 64,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

  3. कब मिलेगा: यह जेट्स भारत को आने वाले 3-4 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से मिलेंगे।

  4. कहाँ तैनात होंगे: ये विमान भारतीय नौसेना के INS Vikrant और INS Vikramaditya जैसे विमानवाहक पोतों पर तैनात किए जाएंगे।


इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

भारतीय नौसेना के पास इस समय लड़ाकू विमानों की कमी है, खासकर उन विमानों की जो विमानवाहक पोत से उड़ान भर सकते हैं। पहले नौसेना के पास मिग-29K विमान थे, लेकिन समय के साथ उनकी कार्यक्षमता पर सवाल उठने लगे।

भारत ने अपने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant को 2022 में शामिल किया, लेकिन उस पर तैनाती के लिए कोई भी उपयुक्त लड़ाकू विमान उपलब्ध नहीं था। ऐसे में भारत को एक ऐसे विमान की जरूरत थी जो समुद्री वातावरण में भी कुशलता से काम कर सके। राफेल-M इस आवश्यकता को पूरा करता है।


राफेल बनाम F/A-18 सुपर हॉर्नेट

इस डील से पहले भारत ने दो विमानों की तुलना की थी — फ्रांसीसी राफेल-M और अमेरिकी Boeing F/A-18 Super Hornet। दोनों ही बेहतरीन फाइटर जेट्स हैं, लेकिन राफेल-M कुछ मामलों में भारत की जरूरतों के ज्यादा अनुकूल पाया गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, राफेल-M:

  • INS Vikrant के छोटे डेक पर बेहतर तरीके से लैंड और टेकऑफ कर सकता है।

  • पहले से ही भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल हो रहा है, जिससे ट्रेनिंग और मेंटेनेंस में आसानी होगी।

  • फ्रांस के साथ पहले से मजबूत रणनीतिक साझेदारी है।


भारत को क्या फायदे होंगे?

1. नौसेना की ताकत बढ़ेगी

मरीन राफेल की तैनाती से भारतीय नौसेना को एक बड़ा सामरिक लाभ मिलेगा। ये विमान समुद्र के बीचों-बीच भी उच्च स्तर की हवाई शक्ति प्रदान कर सकते हैं।

2. भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूती

चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच यह सौदा भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक मजबूत उपस्थिति देगा। खासकर दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की सक्रियता बढ़ेगी।

3. स्वदेशी निर्माण में सहयोग

इस सौदे में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कुछ कलपुर्जों का निर्माण भारत में भी किया जाएगा। इससे घरेलू रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

4. रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा

भारत और फ्रांस के बीच रक्षा साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुई है। यह डील दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करेगी और भविष्य में संयुक्त रक्षा परियोजनाओं के रास्ते खोलेगी।


कुछ आलोचनाएं भी

जहाँ यह डील भारत की सामरिक शक्ति के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि:

  • इसकी कीमत बहुत ज्यादा है।

  • क्या भारत को स्वदेशी फाइटर जैसे TEDBF (Twin Engine Deck Based Fighter) पर ज़्यादा फोकस नहीं करना चाहिए?

हालांकि, यह भी सच है कि स्वदेशी विमान को आने में अभी 7-8 साल लग सकते हैं, और फिलहाल के लिए मरीन राफेल से बेहतर विकल्प नहीं है।


निष्कर्ष

भारत-फ्रांस मरीन राफेल डील केवल एक रक्षा सौदा नहीं है, बल्कि यह भारत की समुद्री शक्ति को अगले स्तर तक ले जाने वाला कदम है। यह दिखाता है कि भारत अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर पहले से कहीं ज़्यादा सजग और सक्रिय है।

राफेल-M की तैनाती से भारत ना केवल अपने दुश्मनों को करारा जवाब दे सकेगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक संतुलन भी बना सकेगा। भविष्य में जब स्वदेशी TEDBF जैसे प्रोजेक्ट्स भी सामने आएंगे, तब भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर और मजबूत रक्षा शक्ति बन जाएगा।

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